Bas yahi chahta hu

थोड़ा सा साथ चाहता हूँ,
पल दो पल का साथ चांहता हूँ,
तुम राह चलो, मैं साथ रहूँ,
इतनी सी इज़ाज़त चाहता हूँ।

आसां हो राह,ये चाहँ नहीं,
मुश्किलों में साथ निभाना चांहता हूँ,
चंदा की नहीं आरज़ू मुझको,
एक दीप जलाना चाहता हूँ।

सफ़र तो मैं तय कर ही लूँगा,
साथ तुम्हारा चांहता हूँ,
तूफानों से नहीं डर लगता मुझे,
मंजिल तक पहुंचना चांहता हूँ।

यूँ तो मैं चल लूँगा तन्हां भी,
पर प्यार तुम्हारा चांहता हूँ,
छोटी सी मेरी इस दुनिया को,
अब स्वर्ग बनाना चाहता हूँ।

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