KYU



होठों पे लाखों नगमें  भले,
आँखों में फिर भी नमी है क्यों?
मुठ्ठी में पूरा गुलशन भले,
खाबों में फिर भी कमी है क्यों?
महफ़िल भी है और यार भी है,
भींड़ में फिर तन्हाई है क्यों?


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