कसूर मेरा इतना है कि मैं इंसान बन गया,
तुम्हारे ज़हन में बसी पाक़ तस्वीर से गिर गया,
दोष गलतियों को दूँ या खुद को,
वो खुद ब खुद हुयी इन्सान की फितरत के चलते,
मेरा कसूर तो बस इतना था,
कि मैं इन्सान बन गया।
तुम्हारे ज़हन में बसी पाक़ तस्वीर से गिर गया,
दोष गलतियों को दूँ या खुद को,
वो खुद ब खुद हुयी इन्सान की फितरत के चलते,
मेरा कसूर तो बस इतना था,
कि मैं इन्सान बन गया।
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